जिसका उद्देश्य एक ही होता था-दैवीय शक्ति की पुनः पूर्ति.
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जिसका उद्देश्य एक ही होता था-दैवीय शक्ति की पुनः पूर्ति.
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पुनः पूर्ति करना एक धीमी प्रक्रिया है और धैर्य एनोरेक्सिया से बाहर आने की कुंजी है।
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वास्तव में किसी एक जीव या जीवसंख्या का पोषक-चक्र पर पूर्ण नियन्त्रण नहीं होता बल्कि बहु प्रवर्धीययोग, एक पारिस्थितिक प्रणाली के रूप में, जीवों के लिए पदार्थो के लिएपदार्थो एवं ऊर्जा की पुनः पूर्ति करते हैं.
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इसके अलावा, यह त्वचा को पोषण भी देता है और पोषको की पुनः पूर्ति भी करता है | चित्र में त्वचा की तिन विभिन्न परते और एलो बाहरी तौर पर काम करने का तरीका दिखाया गया है |
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इसके अलावा, यह त्वचा को पोषण भी देता है और पोषको की पुनः पूर्ति भी करता है | चित्र में त्वचा की तिन विभिन्न परते और एलो बाहरी तौर पर काम करने का तरीका दिखाया गया है |
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आदेश देने की चक्रीय रीति (छ्य्च्लिचल् ओर्डेरिन्ग् स्य्स्टेम्) यह रीति समय पर आधारित है जिसमें सम्पत्ति-तालिकाओं को सभी वस्तुओं केभण्डार के स्तर का नियतकालिक सिंहावलोकन किया जाता हैः जब किसी वस्तु केस्कन्ध का स्तर अगले अनुसूचित सिंहावलोकन तक उत्पादन परिचालन को जारीरखने के लिए अपर्याप्त हो तो उसकी पुनः पूर्ति का आदेश दिया जाता है.